वोदका पीने वाले बचते हैं, रम वाले फंसते हैं

आरटीओ विभाग का प्रवर्तन दल शराबी चालकों की पहचान उनके मुंह सूंघ कर करता है। ऐसे में वोदका, जिन और सिंगल माल्ट के शौकीन तो कार्रवाई से बच जाते हैं, क्योंकि इन तीनों ही ब्रांड से बू नहीं आती।

इसके विपरीत रम पीने वाला फंस जाता है। आपके मन में सवाल आ सकता है कि विभाग मुंह सूंघकर पीने वाले की पहचान करता क्यों है? वह इसलिए क्योंकि आरटीओ खाली हाथ है। शासन को एल्कोहल मीटर के लिए लिखे जाने के बावजूद उन्हें यह मुहैया नहीं कराए गए।

पुलिस है मजबूर
ऐसे में दून पुलिस जहां 10 अति आधुनिक एल्कोमीटर से लैस होने की वजह से शराबियों की पहचान करने में सक्षम है, वहीं आरटीओ विभाग के हाथ खाली है। दून में ही नहीं, टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार, पौड़ी और चमोली में भी आरटीओ के पास एल्कोहल मीटर नहीं है।

मीटर ना होने की वजह से पहाड़ में रात को शराब पीकर खतरनाक सड़कों पर वाहन चला रहे चालकों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं हो पाती। यही वजह है कि आरटीओ विभाग जब भी ड्रिंक एंड ड्राइव के खिलाफ अभियान चलाता है। उसे मुंह की खानी पड़ती है।

प‌ुलिसकर्मियों को खतरा
कई बार आरटीओ विभाग की कार्रवाई में विवाद भी हो जाता है। वहीं बदबू सूंघने वाला कर्मी को भी कई बीमारियों से ग्रसित होने का डर रहता है। आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई मुख्यालय को लिखा गया है कि एल्कोहम मीटर उपलब्ध कराए जाए। एल्कोहल मीटर न होने से विभाग कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।

उन्होंने बताया कि एल्कोहल मीटर की भी गुणवत्ता देखी जा रही है। अगर वह अति आधुनिक है तो उसी तरह के मशीनों को उलब्ध कराने के लिए कहा जाएगा।

इंटरसेप्टर भी है खराब पड़ी
आरटीओ विभाग में लाखों रुपयों की इंटरसेप्टर गाड़ियां भी खराब पड़ी हुई है। इनको ठीक कराने के लिए बजट न मिलने से यह वाहन अब जंक हो चुके हैं।

इस प्रकार के वाहन देहरादून के आरटीओ कार्यालय और उत्तरकाशी के एआरटीओ कार्यालय में देखे जा सकते हैं। इन इंटरसेप्टर के अंदर लाखों रुपयों के लगे एल्कोहल मीटर, स्पीडो मीटर और अन्य उपकरणों में भी जंक लग गया है।

Related posts